पता ही नही चला ऐसे मुझे डुबाया आपने
पिछे चलते चलते आज तक आ पहुंचे
पता ही नही चला ऐसे मुंह खुलाया आपने
रात ढलते ढलते सुरज की किरण आ पहुंचे
पता ही नही चला ऐसे सपने दिखाये आपने
रोते रोते अचानक हंस जो हम पडे
पता ही नही चला आंसू मेरे खतम कराये आपने ..
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